धरती हमारी उत्तराखंड की
उत्तराखंड की संस्कृति और उसमे बसने वाले लोग
गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012
संवेदनशील
संवेदनशील से संवेदनहीन होना
आसान तो नही रहा होगा
सांसों को हवाओं में समरस
करने से पहले
,
जरूर तुमने
मुझे ही आवाज दी होगी
,
जैसी एक बार लौट आओ ना !!!!
http://sohankharola.blogspot.com
1 टिप्पणी:
Sohankharolarksh
ने कहा…
बहुत अच्छा
4 अक्टूबर 2012 को 10:25 pm बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छा
एक टिप्पणी भेजें