रविवार, 21 अक्तूबर 2012



डरी हु, सहमी हु , फिर भी  आपके सामने हु !
डरी हु, सहमी हु , फिर भी डर से अंजान  हु !
सामने आप हो तो डरु कैसे ,डर से अंजान  हु !
डर तो डराता है ,खुद डर को डराती हु !
क्यों डरते हो और ये डर क्या है  मै डर से अंजान  हु !
खुदा के नेक बन्दे है इस जहा में मै डर से अंजान  हु !
मुझे खुद उचायिया  देके वो मुझे निचे से निहारते है  मै हु !
यही आवाज़  देकर कठिन राहों पे चलने को कहते है 
मै चलती तो हु पर डरती नहीं मै डर को डराती हु !
उसने जीना सिखाया डरना नहीं ,मै उनका शुक्रगुज़ार हु !
कहते  है लोग ,हर कामयाबी के पीछे औरत का हाथ है मै नहीं हु !
खुद तो बड़े बने मुझे भी बनाया मै उनका शुक्रगुजार हु !
मै डर से डरती नहीं , मै खुद डराती हु 
खुदा के नेक बन्दे है इस जहा में मै डर से अंजान  हु !

http://sohankharola.blogspot.com


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