शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012



प्रेम एक ऐसा विषय है जिस पर सबसे अधिक लिखा गया है और सेक्स या काम ऐसा विषय है जिससे प्रकृति का कोई प्राणी तो छोड़ कोई तत्व अलग नही है। हम मौखिक रुप से चाहैं जितना मना करें किन्तु शरीर की सबसे महत्वपूर्ण भूख है सेक्स और जीवन की सबसे आनन्ददायक क्रिया है सेक्स, विवाहित स्त्री पुरुषों के बीच  हमारे देश में क्योंकि विवाह पूर्व प्रेम की घटनाए वहुत कम पायी जाती है इसलिए प्रेम भावना बढ़ाने का साधन भी सेक्स ही है।किन्तु जब नर या नारी कोई भी किसी गुप्त रोग से ग्रसित होता है तो दोनो के प्रेम आनन्द में वाधा पड़ जाता है।एसी अवस्था में न तो नारी संतुष्ट होतीहै और न ही पुऱुष की ही काम वासना की त्रप्ति होती है। परिणाम यह होता है कि दोनो का वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है।अतः यह जरुरी है कि दोनो ही शारीरिक रुप से ही नही मानसिक रुप से भी स्वस्थ हों।
आज हम केवल स्त्री रोगों के बारे में चर्चा करेंगे।


स्त्री में कामांग (सेक्स संबधी अंग)-  रोगों की जानकारी से पहले यदि हमें अंग विशेष के बारे में जानकारी है तभी रोग का सही उपचार संभव है अतः रोगों की जानकारी से पहले स्त्री अंग उसकी बनावट उसकी क्रिया विधि को समझ लेना आवश्यक है। स्त्री में कामांग दो प्रकार के होते हैं  1- बाह्य स्त्री कामांग-                  स्त्री के वाह्य कामांगों में  प्रमुख अंग है योनि व भगनासा
[Image]स्त्री के वाहरी अंगो के उपांगो में सबसे पहले आता है योनि कपाट जो वड़े तथा छोटे ओष्ठों के बीच जाघों के मध्य होता है,इसके बाद कुछ अण्डाकार व कुछ अर्ध चन्द्राकार छेद होता हैजिसे भग द्वार या योनिमुख कहते हैं।योनिमुख के दोनो ओर लम्बा सा उभार होता है जिस पर बाल उगे रहते हैं।औऱ अन्दर की  ओर चिकना व माँसल भाग होता है जिसे बडा  ओष्ठ या libia majora कहते हैं।जिसके दोनो सिरे आपस में मिले रहते रहते हैंऔर जहाँ ये ऊपर मिलते हैं वह संगम स्थल भगांकुर या clitoris कहलाता है।यही से मुख्यतः काम भाव जाग्रत होता है।इस भगांकुर की रचना कुछ कुछ पुरुष जननेन्द्रिय जैसी है।इसमे पुरुष जननेन्द्रिय की तरह ही हड्डियाँ या नसे नही होती यह भी थोड़ी सी रगड़ पाकर या फिर स्पर्श से तन कर फूल जाती है और स्त्री में कामोत्तेजना पैदा हो जाती है।यह बड़े ओष्ठ के मिलन स्थल से लगभग 1 या 1.25 सेमी. नीचे अन्दर की ओर होता है।भगांकुर के नीचे योनिमुख के ऊपर छोटे आष्ठों के बीच में एक तिकोनी सी जगह होती है जिसे भगालिन्द या vestibulae कहते हैं।इसके बीच में योनिमुख या छिद्र होता है यही मूत्रद्वार भी खुलता है।योनि के आरम्भ में दोनो ओष्ठों के पीछे एक ग्रंथि ढकी अवस्था में रहती है जो कामभाव पैदा करने के लिए उत्तरदायी है।भगालिंद से गर्भाशय तक फैला हुआ जिसके आगे की ओर मूत्राशय व पीछे की ओर का भाग मलाशय होता है के बीच मे योनिमार्ग स्थित रहता है।इसका मुख नीचे की अपेक्षा ऊपर को अधिक फैला हुआ रहता है।ऊपर की तरफ  इसमें गर्भाशय की गर्दन का योनि वाला भाग होता है।
2- आंतरिक स्त्री कामांग  योनि या  Vagina प्रथम अंतः जनन अंग है यह एक15 सेमा.  लम्बी  नाली के जैसी संरचना है जो मांसपेशियों व झिल्ली से बनी होती है तथा जो योनिमुख से गर्भाशय द्वार तक जाती है।यह नाली योनि मुख पर व नाली के अंतिम सिरे पर तंग तथा बीच में चोड़ी होती है।यह तीन परतो वाली संरचना है तथा इसकी अगली व पिछली दीवारों पर खड़ी लकीरे पायी जाती हैं।इन लकीरों के मध्य में बहुत सी छोटी -2  ऐसी श्लैश्मिक ग्रंथियाँ होती हैं जिनसे संभोग के समय विशेष प्रकार के तरल स्राव निकल कर योनि को गीला और चिकना बनाते हैं.तथा संभोग में मदद करते है।यह नाली जैसी संरचना संभोग,मासिक स्राव,व प्रसव की क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।            मूत्राशय और मलाशय के बीच में नीचे को मुँह  किये हुये नासपाती के समान थैली जैसी  एक संरचना  10×6  cm वाली पेड़ू मे पायी जाती है जिसे Uterus या गर्भाशय कहते हैं। इसका वजन लगभग 6 औंस के करीव होता है। इसके अन्दर ही गर्भ बनता है तथा यही उसका विकास होकर बच्चा विकसित होता है।गर्भाशय आठ वंधनो द्वारा अपने स्थान पर अवस्थित रहता है जिस प्रत्येक बंधन में दो तहें होती है इन्हीं तहों के बीच-2  में फैलोपियन ट्यूव,ओवरीज व गोल गोल लिगंमेट्स होता है।गर्भाशय को तीन भागों में विभाजित किया गया है। [Image]1- गर्भाशय गर्दन (Cervix Uteri or Cervical canal)                
[Image] 2- गर्भाशय( Body of Uterus) 3- गर्भ गुहा(Fundus Uterai ) गर्भाशय का भीतरी भाग गर्भगुहा कहलाता है।यह त्रिकोण के आकार का होता है।यौवनावस्था में यह 6.25 सेमी. का तथा गर्भावस्था में 22.से 30 सेमी. का हो जाता है।स्त्री के गर्भाशय के दोनो ओर रंग में सफेद तथा बादाम के आकार की अण्डाशय या डिंबग्रंथि (Ovaries)नामक दो ग्रंथियाँ होती हैं ये पुरुषों मे पाये जाने बाले अण्डकोशों के समान होती हैं। स्त्री के जननागों की सक्षिप्त जानकारी हो जाने के बाद अब आप यह समझ सकते हैं कि जब इन अंगो मे कोई विकार पैदा हो जाए या इनकी क्रिया विधि गड़वड़ा जाए तभी संभोग क्रिया कष्टप्रद हो जाएगी  अब स्त्रियों में होने बाले रोगों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। स्त्रियों में होने वाले सामान्य रोग योनि में खुजली हो जाना,योनि का तंग हो जाना,योनि का शिथिल या ढीली  हो जाना,योनि में घाव होना,जरायु या गर्भ प्रदाह, आदि  हैं। 

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