शुक्रवार, 4 मई 2012

नाक भी गंवाईं

          किसी गांव में किसी की शादी थी और बारात जाने वाली थी | बारात में गांव के सभी लोग बुलाए गए थे , लेकिन  एक आदमी को नहीं बुलाया गया |बारात में न बुलाए जाने पर वह नाराज हो गया | गुसे में आ कर उसने अपनी नाक काट दी और उस रास्ते पर जाकर बैठ गया , जहाँ से बारात दुल्हन को लेने जा रही थी |
     बारात के जाने से पहले वाहन से गांव का एक आदमी निकला | उसने देखा कि रास्ते में कोई बैठा हुआ है | उसने पूछा कि अरे यह क्या हुआ ?" नाक कैसे कटी ?"
    उस आदमी ने कहा ," नाक मैंने अपने आप कटी है | यह जो बारात आ रही है न , उसमे मुझे न्योता नहीं मिला | बारात का अपसगुन हो , इस लिए मैंने अपनी नाक काट ली है |और रास्ते में बैठ गया हूँ |
     उस आदमी ने कहा ," अरे वेबकूफ बारात का अपसकुन  तो होगा या नहीं , पर तूने अपनी नाक कट कर अपना सकून  कर लिया |
      ठीक ही तो कहा है - दूसरे के बारे में बुरा सोचने से पहले अपने बारे में भी सोच लेना चाहिए |


द्वारा - सोहन 
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उत्तराखंड की लोककथा

द्वारा-सोहन