मंगलवार, 30 जुलाई 2013


नायक माधो सिंह भंडारी

मलेथा... गाँव ..... जी हाँ इस हरियाली को वीर भड़ माधो सिंह भंडारी ने....... अपने छोटे से बेटे के खून से सिंचा है उनके पुत्र के इस बलिदान को समस्त उत्तराखंड का नमन.... "क्या च भंडारी तेरा मलेथा...कनडाली को खाणु तेरा मलेथा झंगोरा को खाणु तेरा मलेथा"""" यही शब्द थे जो गाथा नायक माधो सिंह भंडारी जी को मलेथा की
सारी में पानी लेन के लिए मजबूर
किया था और ये
शब्द उनकी प्रेमिका उदीना ने उनके लिए कहे थे
गाथा नायक माधो सिंह भंडारी जी ने मलेथा की कूल बनने के बाद
कहा था
की
""" ढल कदी कूल मेरा मलेथा,पलिंगा कु बाड़ी मेरा मलेथा गाउ मुड़े
धारी मेरा मलेथा,
छोलिंग बिजोरा मेरा मलेथा,गायो कु गुठार मेरा मलेथा,बैखू की ढसक
मेरा मलेथा
" ये जा उदीना मेरा मलेथा
लेकिन माँ की ममता को कोई नहीं जन सकता है ,,, जब माधो सिंह अपने बेटे की बलि देने को तयार होता है तो गजे सिंह यानि माधो सिंह भंडारी का बेटा अपनी माँ से इस प्रकार बोलता है .

गाजे सिंह :-बाबा जी बोना छन मेरा, पानी ओन मलेथा का सेरा, मेरी माँ जी में जणू पड़गी !
उदीना :- त्वे बिना कन्केक रोलु , मेरी काकी पर अभ कु सेलु !
गाजे सिंह :छेन्दा माँ बलिदान होण , मलेथा माँ पाणी ओण ,मेरी माँ जी में जणू पड़गी !
उदीना :तन न बोल ये मेरा बीर -मेरी जोंदी जुकड़ी न चीर,

इतिहास बताता है की . आज भी गढ़वाल की धरती को उदीना का सराफ मिला है.
माधो सिंह भंडारी के बाद गढ़वाल में ऐसा भड (बीर) पुरुष पैदा नहीं हुआ.