शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012


खगोलीय पिंड और पृथ्वी की टक्कर से बना चाद

Celestial body formed by the collision of the earth and moon
खगोलीय पिंड और पृथ्वी की टक्कर से बना चाद
 हालिया हुए अध्ययन में कहा गया है कि चंद्रमा की उत्पत्ति मंगल ग्रह के आकार के एक खगोलीय पिंड और पृथ्वी के टकराने के बाद उत्पन्न भयंकर आग की लपटों के बीच से हुई है।
अपोलो अभियानों के तहत चंद्रमा से लाई गई मिट्टी और चट्टानों के अध्ययन से पता चलता है कि इनमें भारी मात्रा में जस्ता मौजूद है जिससे अरबों साल पहले चंद्रमा की उत्पत्ति के रहस्य का पता चलता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि चंद्रमा के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव ही नहीं हो सकता था। इसका कारण यह है कि वर्तमान की तुलना में पहले यह पृथ्वी के चारों ओर बहुत करीब से परिक्त्रमा करता था। जिसके कारण यहा बहुत कम समय में ही ज्वार भाटा पैदा होते थे। इनसे समुद्र के किनारे के लवणों में काफी परिवर्तन हुए। शोधकर्ताओं के दल का नेतृत्व करने वाले वॉशिगटन विश्वविद्यालय के डॉक्टर फ्रेडरिक मोयनियर के मुताबिक इस शोध के लिए चंद्रमा के 20 नमूनों का अध्ययन किया गया।
क्या चंद्रमा पृथ्वी का ही हिस्सा है
हार्वड के वैज्ञानिकों के सिद्धात के अनुसार एक अन्य खगोलीय पिंड से पृथ्वी की जबरदस्त टक्कर के बाद जन्मा चंद्रमा दरअसल पृथ्वी का ही हिस्सा है। इसका अब सबसे अधिक प्रमाणिक आधार इसलिए मौजूद है क्योंकि पृथ्वी और चंद्रमा पर पाए जाने वाले रसायनों में खासी समानता है। साइंस पत्रिका में बुधवार को प्रकाशित शोध में कहा गया है कि पहले पृथ्वी जब और विशाल थी और दहल रही थी तब वह अपनी धुरी पर बहुत ही अधिक तेजी से घूम रही थी। एक दिन और रात तब अधिकतम दो से तीन घटे में ही पूरा हो जाता था।
इसलिए जब विशाल खगोलीय पिंड पृथ्वी से टकराया तो बहुत ही बड़ा विस्फोट हुआ और पृथ्वी का ही एक हिस्सा टूटकर धरती से अलग हो गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी को मौजूदा स्वरूप इसलिए मिला क्योंकि चंद्रमा बहुत ही करीब घूमता था। पृथ्वी का वातावरण जीवन योग्य इसलिए बना क्योंकि चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल में सध कर चाद उससे धीरे-धीरे मौजूदा दूरी पर चला गया और पृथ्वी की गति और तापमान भी कम होता गया।

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