शनिवार, 27 अक्तूबर 2012





डायबिटीज की आधुनिक चिकित्सा

डायबिटीज एक खतरनाक रोग है जो मरीज को धीरे धीरे अपनी आगोश में लेता जाता है और अगर मरीज ने अपना शुगर लेवल कम नहीं किया तो यह रोग उसपर अपना शिकंजा कसता जाता है और एक दिन मरीज दिल के दौरे या स्ट्रोक या लकवा या अंधेपन का शिकार हो जाता है। इसलिए समय रहते इसका उपचार जरुरी है।

आइये जानते हैं कि इसके उपचार स्वरुप क्या क्या किया जाता है:

इसमें सबसे पहले शुगर लेवल को कम करना होता है जिसके लिए इंसुलिन दिया जाता है।

डायबिटीज को मुख्यतः तीन तरीको से नियंत्रित किया जाता है या यूँ कहिये कि इसका उपचार किया जाता है जिनमें इंसुलिन, व्यायाम एवं खान पान की मुख्य भूमिका होती है। अगर व्यायाम करने से एवं आहार विहार पर नियंत्रण रखने से भी ब्लड शुगर लेवल कम नहीं होता तो दवाइयों का सहारा लिया जाता है। अगर दवाइयां भी शुगर लेवल को कम करने में बेअसर दिखाई देने लगती हैं तो मरीज को इंसुलिन दिया जाता है।

लकिन गर्भवती स्त्रियों को अथवा स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को अगर जेसटेस्नल डायबिटीज  हो गई है तो उन्हें  व्यायाम से अथवा आहार पर नियंत्रण करके या इंसुलिन थेरपी के जरिये ब्लड शुगर को कम किया जाता है। उन्हें किसी भी तरह की डायबिटीज  की दवाई नहीं खिलाई जाती।

डायबिटीज  के मरीज को किस तरह की दवाइयां दी जाती हैं?

सल्फोनायलुरिअस   

इस तरह की दवाइयों का मुख्य काम होता है- ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करना। साथ हीं साथ ये दवाइयां पैनक्रियाज को ज्यादा मात्रा में इंसुलिन निर्माण करने को उत्प्रेरित करते हैं। इस तरह डायबिटीज  के  मरीज के शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य होने लगता है। 

प्राडीन

इस प्रकार की दवाइयां भी ब्लड शुगर कम करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। यह आमतौर पर भोजन के पूर्व लेने को कहा जाता है। 

बाईगुआनाइड्स

इस प्रकार की दवाइयाँ लीवर द्वारा उत्पादित ग्लूकोज की मात्रा को कम करती है।  

थाईजोलीडाइनडिओंस

इस प्रकार की दवाइयाँ मरीज के शरीर को इस लायक बनाती  हैं जिससे कि मरीज का शरीर कसमें मौजूद इंसुलिन का उपयोग कर सके।  

मेगलीटीनाईड्स 

इस प्रकार की दवाइयाँ पैनक्रियाज को ज्यादा से ज्यादा इंसुलिन उत्पादन के लिए प्रेरित करती है। 

इंसुलिन

इन्सान का सिंथेटिक इंसुलिन सिर्फ एक प्रकार का ऐसा इंसुलिन है जो अभी सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका में उपलब्ध है। अतीत में इस्तेमाल किये जाने वाले पशु व्युत्पन्न के किस्मों से प्राप्त इंसुलिन की तुलना में इनसे कम एलर्जी होने संभावना रहती है।  इंसुलिन के विभिन्न प्रकार उपलब्ध रहते हैं जो इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज की स्थिति क्या है और उसे किस प्रकार का मधुमेह है।

वाणिज्यिक तरीके से  तैयार किये गए इंसुलिन के मिश्रण को मधुमेह पर तत्काल  नियंत्रण लगाने में प्रभवकारी होता है।

इंसुलिन के इस्तेमाल करने के तरीके

इंसुलिन को अक्सर इंजेक्सन के रूप में लिया जाता है।

इसका इंजेक्सन त्वचा के ठीक नीचे  लिया जाता है। इंसुलिन मुंह के जरिये लेने की बजाये इंजेक्सन द्वारा इसलिए लिया जाता है क्योंकि जब इंसुलिन मुंह के द्वारा पेट में पहुँचता है तो रक्त में मिलने के पहले हीं लीवर द्वारा यह नष्ट हो जाता है जिससे इसका फायदा मरीज को नहीं मिल पाता।

डायबिटीज में खान पान द्वारा इलाज

डायबिटीज में खान पान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। चीनी, घी, वसा वाले खाद्य पदार्थ न के बराबर खाए जाते हैं। फाईबरयुक्त खाद्य पदार्थ तथा प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाया जाता है। हरी सब्जियों का रोजाना भरपूर मात्रा में सेवन किया जाता है।

नारियल तेल के बारे में शोधकर्ताओं ने पता लगाया है की  यह डायबिटीज के मरीजों को बहुत लाभ पहुंचाता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कम करता है; इंसुलिन के बिना हीं मरीज की कोशिकाओं तक ग्लूकोज पहुँचाता है और कोशिकाओं का पोषण करता है जिससे मधुमेह के मरीज को कमजोरी नहीं आती। नारियल तेल न सिर्फ ब्लड शुगर लेवल को कम करता है बल्कि यह मधुमेह की बीमारी को ठीक करने में भी अहम् भूमिका निभाता है। अतः दावा के साथ साथ मधुमेह के इलाज के तौर पर शुद्ध नारियल तेल का भी सेवन किया करें।

व्यायाम सबसे कारगर इलाज

मधुमेह का मरीज चाहे जितनी भी दवाइयां खाता रहे, उसे तब तक कोई खास फायदा नहीं होने वाला जब तक वह व्यायाम नहीं करता। मधुमेह के मरीज को रोजाना आधा घंटा व्यायाम करना चाहिए; इसके लिए वह चाहे जिम जाये या डांस करे या पैदल चले या कुछ और करे। व्यायाम ब्लड शुगर लेवल को कम करने में अहम भूमिका निभाता है और आपको अनेक रोगों से बचाता है।



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