शनिवार, 15 अक्तूबर 2016

नन्हा दीपक

वो नन्हा दीपक दुनिया के अँधेरे को
मिटाने का कर रहा है प्रयास ।
अँधेरे से पथराई आँखे भी बैठ गई
दम साधे और लगा दी आश ।
अभी काली रात बाकी है
अँधेरा भी है घनगौर ।
पर वो नन्हा दीपक जलते हुए
आशा की किरण फ़ैला रहा हँ चाहुऔर ।
भयंकर और विशाल अन्धेरा
उस नन्हे दीपक पर है झपटता
पर उस नन्हे दीपक की
हिम्मत देख पीछे है हटता ।
उस अँधेरे का साथ देने को
हवा का तेज जोका आया ।
वो नन्हा दीपक मद्धम हुआ
या यु कहु थोड़ा हड़बड़ाया ।
लेकिन वो नन्हा दीपक दम लगाकर
फिर पहले की तरह जल गया ।
उसे पुनर्जीवित होते देख
अँधेरा दो कदम पीछे चला गया ।
रात भर हर मुसीबत से लड़कर
वो नन्हा दीपक उजाला फेलाता रहा ।
कभी मद्धम तो कभी तेज होकर
रातभर अँधेरे को छकाता रहा ।
अँधेरे से लड़ने का जज्बा अभी भी है
पर तेल ख़त्म होने लगा ।
इस पर भी जारी है उसकी कोशिश
वो अपना पूरी बाती जलाने लगा ।
अंतिम प्रहर में नन्हे दीपक ने
अपनी कोशिश को चरम पर पहुचाया ।
नन्हे दीपक के आखिरी वक़्त में
इतना उजाला देख अँधेरा घबराया ।
उस दीपक ने अंतिम सांस ली
अँधेरे की विजय देख धरती घबराई ।
लेकिन विजय हुआ नन्हा दीपक
उसी वक़्त प्रथम सूर्य किरण ज़मी पर आई ।