रविवार, 21 अक्तूबर 2012

हिंदी सायरी


मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी        
मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा…..
आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है
तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा……
मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा….
सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा :cry: :cry:

यादों की किम्मत वो क्या जाने,
जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं


प्यार वो हम को बेपनाह कर गये,फिर ज़िनदगीं में हम को,
तन्नहा कर गये, चाहत थी उनके इश्क में,फ़नाह होने की,
पर वो लौट कर आने को,भी मना कर गये..

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं कोई बेवफा नही होता, टटोल कर देखो अपने दिल को हर फासला बेवजह नहीं होता

तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने ,
तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने ,
मत सोच के हम भूल गए है तुझे ,
आज भी खुदा से पहले याद किया है तुझे

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा`

धोखा दिया था जब तूने मुझे. जिंदगी से मैं नाराज था,
सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं. मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था….
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं, हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं, दिल का दर्द किससे दिखाए, मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं.

सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे,
सारी मेहफिल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा ..

जनाजा मेरा उठ रहा था,
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में!
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर है दफनाने में?

मिलना इतिफाक था बिछरना नसीब था ..
वो तुना हे दूर चला गया जितना वो करीब था ..
हम उसको देखने क लिए तरसते रहे
जिस शख्स की हथेली पे हमारा नसीब था

दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो,
नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो,
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो,
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो..

रास्ता सुझाई देता है,
न मंजिल दिखाई देती है,
न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं,
न धड़कन सुनाई देती है,
एक अजीब सी कैफियत ने
आन घेरा है मुझे,
की हर सूरत में,
तेरी सूरत दिखाई देती है :cry: :cry: :cry: :cry:


एक चेहरा लगा खुश करते है दुनिया को
एक चेहरा बना खुश करते है हम खुद को
इंसान तो सबसे बड़ा चित्रकार है
हर पल नई तस्वीर मे ढाल देता है खुद को

राहो में निकले तो रास्ता विरान था,
एक तरफ़ आबादी एक तरफ़ कब्रिस्तान था,
हर विरान कब्र का यहीं बयान था
देख के चल मुसाफ़िर कभी मैं भी इन्सान था.

कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता,
गंभीर है किस्सा सुनाया नहीं जाता,
एक बार जी भर के देख लो इस चहेरे को,
क्योंकि बार-बार कफ़न उठाया नहीं जाता..



न गिला किया , न ख़फ़ा हुए , यूँ ही रास्ते में जुदा हुए
न तू बेवफ़ा, न मैं बेवफ़ा , जी गुज़र गया सो गुज़र गया
इतनी तो हम को भी है है खबर हमारे हाल से नहीं हो तुम बेखबर
काश हमको भी कुछ तुम्हारी खबर होती तो इस तरह हमारी यह हालत न होती -
पत्थरों की चोट क्या होती है हम नहीं है जानते
हमने तो फूलों से ज़ख्म खाए है –

ये दिल रोता है तेरी मोहब्बत को याद कर के
ये आंखे बरसती है कभी तेरी बेवफाई पे,
ये सोचता हूँ मै कि किस तरह भूलू तुझे
ये जानता हूँ की उम्र भर न भुला पाउगा तुझे,
न जाने क्यों मै एक फैसला नहीं कर पाता
न जाने क्यों मै खुद को ये सजा देता हूँ,
निकालता हूँ हर बार तुझ को दिल से
और फिर भी तेरी यादों में खोया रहता हूँ,
तू दगा देकर तनहा छोड़ गया है मुझे
फिर भी ये दिल दुआ देता है तुझे,
ऐ सनम तू साथ है मेरे मेरी हर तन्हाई में,
कोई गम नहीं की तुमने वफ़ा नहीं की
इतना ही बहुत है की तू शामिल है मेरी तन्हाई में,

हम खुश रह लेंगे, ये सोच कर ही सही,
भूल जा उसको जो तेरे मुकद्दर में ही नहीं,
उठा ले जाम और छलका दे पैमाना अपना,
भुला दे उस दिल को, जिसको तेरी फिकर ही नहीं !!
दिखा दे उसको की तुझे भी, नहीं गम कोई,
नहीं चाहिए हमदर्द, दोस्त, ना हमदम कोई,.
और चल यूँ कि तुझे खबर ही नहीं,
कि राह में काटें है या बिछे हैं पत्थर कोई !!
बहक जा इतना की बहकने का बस गुमान रहे,
ना रहे होश बदन में, बस एक जान रहे,
उनकी चाहत में खुद को तू इतना ना डूबा,
    
वो किसी और की होगी, तुझे ये ध्यान रहे…..
   
वो किसी और की होगी, तुझे ये ध्यान रहे….
ना तू और अब हसना, कि रोना पड़ता है,
किसी से प्यार ना करना, कि रोना पड़ता है,
मिलता कुछ भी तो नहीं गम, आँसुओं के सिवा,
और जो कुछ होता है अपना, वो खोना पड़ता है !!
इसलिए…..
   
उस संगदिल सनम की, तू यूँ फिक्र ना कर . . .
 
लब रख खामोश, उसका तू ज़िक्र ना कर. . .
 
और. . .
जिन्दगी कुछ ऐसे जी ले, कि कोई अफ़सोस ना रहे,
उनके याद, फ़रियाद, में तू यूँ खामोश ना रहे !!
मगर, हसना इतना कि, तेरी हंसी पे सारा जमाना रो दे,
रोना इतना कि आँसुओं की बाढ़ में, वो सब कुछ खो दे !!
दुआ करना इतना, कि रब भी हाथ बढ़ा दे,
जो नहीं नसीब में, उसको भी नसीब में ला दे !!

कि खुश तू ना हो तो, उसे भी ख़ुशी नसीब ना हो,
हो सब कुछ उसके पास, पर वो अपने प्यार के करीब ना हो !!

उन्हें भी तो पता चले कि, प्यार के वास्ते रोना क्या है,
वो जो जान हो अपना, उसी का ना होना क्या है
दिल में इतनी मोहब्बत भर ले, कि जीना दुशवार हो जाये,
और जो उन्हें नफ़रतहै तुझसे तो
  इतनी नफरत भर ले, कि उनकी नफरत से भी तुझे प्यार हो जाये !!
उनकी नफरत से भी तुझे प्यार हो जाये….

डरी हु, सहमी हु , फिर भी  आपके सामने हु !
डरी हु, सहमी हु , फिर भी डर से अंजान  हु !
सामने आप हो तो डरु कैसे ,डर से अंजान  हु !
डर तो डराता है ,खुद डर को डराती हु !
क्यों डरते हो और ये डर क्या है  मै डर से अंजान  हु !
खुदा के नेक बन्दे है इस जहा में मै डर से अंजान  हु !
मुझे खुद उचायिया  देके वो मुझे निचे से निहारते है  मै हु !
यही आवाज़  देकर कठिन राहों पे चलने को कहते है 
मै चलती तो हु पर डरती नहीं मै डर को डराती हु !
उसने जीना सिखाया डरना नहीं ,मै उनका शुक्रगुज़ार हु !
कहते  है लोग ,हर कामयाबी के पीछे औरत का हाथ है मै नहीं हु !
खुद तो बड़े बने मुझे भी बनाया मै उनका शुक्रगुजार हु !
मै डर से डरती नहीं , मै खुद डराती हु 
खुदा के नेक बन्दे है इस जहा में मै डर से अंजान  हु !
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आखरी बार आखरी ख़त मैंने लिखा उसे,
देती है मेरी मोहब्बत आखरी तोहफा उसे,
याद रखे या भुला दे मुझे परवाह नहीं,
याद करके भूल जाऊं उसको मैं ऐसा नहीं,
बेवफ़ा की बेवफाई साथ मेरे जाएगी,
और जब उठेगा जनाज़ा मेरा तो आवाजें आएंगे
आ देख ले ज़िन्दगी की ये आखरी ये शाम है,
आखरी ये ख़त एक बेवफ़ा के नाम है |


पा ली खुशियाँ तुने मेरा दिल जलाकर,
बोल क्या तू जी सकेगी मुझे भुलाकर,
तू खुश रह हर पल तेरी खुशियों के लिए मुझे ग़मों से भी प्यार है
बता एक पल के लिए भी क्या तुझे मेरा इंतज़ार है
काफी अरसा बीत गया जाने अब वो कैसी होगी,
वक़्त की सारी कड़वी बातें चुप-चाप सहती होगी,
अब भी भीगी बारिश में वो बिन छतरी के चलती होगी,
मुझसे बिछड़े अरसा बीता अब वो किस से लड़ती होगी,
 अच्छा था जो साथ ही रहते बाद में उसने सोचा होगा,
अपने दिल की सारी बातें खुद से खुद ही कहती होगी







यादों की किम्मत वो क्या जाने,
जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं


प्यार वो हम को बेपनाह कर गये,फिर ज़िनदगीं में हम को,
तन्नहा कर गये, चाहत थी उनके इश्क में,फ़नाह होने की,
पर वो लौट कर आने को,भी मना कर गये..

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं कोई बेवफा नही होता, टटोल कर देखो अपने दिल को हर फासला बेवजह नहीं होता

तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने ,
तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने ,
मत सोच के हम भूल गए है तुझे ,
आज भी खुदा से पहले याद किया है तुझे

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा`

धोखा दिया था जब तूने मुझे. जिंदगी से मैं नाराज था,
सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं. मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था….
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं, हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं, दिल का दर्द किससे दिखाए, मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं.

सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे,
सारी मेहफिल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा ..

जनाजा मेरा उठ रहा था,
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में!
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर है दफनाने में?

मिलना इतिफाक था बिछरना नसीब था ..
वो तुना हे दूर चला गया जितना वो करीब था ..
हम उसको देखने क लिए तरसते रहे
जिस शख्स की हथेली पे हमारा नसीब था

दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो,
नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो,
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो,
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो..

रास्ता सुझाई देता है,
न मंजिल दिखाई देती है,
न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं,
न धड़कन सुनाई देती है,
एक अजीब सी कैफियत ने
आन घेरा है मुझे,
की हर सूरत में,
तेरी सूरत दिखाई देती है :cry: :cry: :cry: :cry:


एक चेहरा लगा खुश करते है दुनिया को

एक चेहरा बना खुश करते है हम खुद को

इंसान तो सबसे बड़ा चित्रकार है

हर पल नई तस्वीर मे ढाल देता है खुद को 

राहो में निकले तो रास्ता विरान था,

एक तरफ़ आबादी एक तरफ़ कब्रिस्तान था,

हर विरान कब्र का यहीं बयान था

देख के चल मुसाफ़िर कभी मैं भी इन्सान था.


कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता,

गंभीर है किस्सा सुनाया नहीं जाता,

एक बार जी भर के देख लो इस चहेरे को,

क्योंकि बार-बार कफ़न उठाया नहीं जाता..



न गिला किया , न ख़फ़ा हुए , यूँ ही रास्ते में जुदा हुए
न तू बेवफ़ा, न मैं बेवफ़ा , जी गुज़र गया सो गुज़र गया
इतनी तो हम को भी है है खबर हमारे हाल से नहीं हो तुम बेखबर

काश हमको भी कुछ तुम्हारी खबर होती तो इस तरह हमारी यह हालत न होती -

पत्थरों की चोट क्या होती है हम नहीं है जानते

हमने तो फूलों से ज़ख्म खाए है –

ये दिल रोता है तेरी मोहब्बत को याद कर के
ये आंखे बरसती है कभी तेरी बेवफाई पे,
ये सोचता हूँ मै कि किस तरह भूलू तुझे
ये जानता हूँ की उम्र भर न भुला पाउगा तुझे,
न जाने क्यों मै एक फैसला नहीं कर पाता
न जाने क्यों मै खुद को ये सजा देता हूँ,
निकालता हूँ हर बार तुझ को दिल से
और फिर भी तेरी यादों में खोया रहता हूँ,
तू दगा देकर तनहा छोड़ गया है मुझे
फिर भी ये दिल दुआ देता है तुझे,
ऐ सनम तू साथ है मेरे मेरी हर तन्हाई में,
कोई गम नहीं की तुमने वफ़ा नहीं की
इतना ही बहुत है की तू शामिल है मेरी तन्हाई में,

हम खुश रह लेंगे, ये सोच कर ही सही,
भूल जा उसको जो तेरे मुकद्दर में ही नहीं,
उठा ले जाम और छलका दे पैमाना अपना,
भुला दे उस दिल को, जिसको तेरी फिकर ही नहीं !!
दिखा दे उसको की तुझे भी, नहीं गम कोई,
नहीं चाहिए हमदर्द, दोस्त, ना हमदम कोई,.
और चल यूँ कि तुझे खबर ही नहीं,
कि राह में काटें है या बिछे हैं पत्थर कोई !!
बहक जा इतना की बहकने का बस गुमान रहे,
ना रहे होश बदन में, बस एक जान रहे,
उनकी चाहत में खुद को तू इतना ना डूबा,
    
वो किसी और की होगी, तुझे ये ध्यान रहे…..
   
वो किसी और की होगी, तुझे ये ध्यान रहे….
ना तू और अब हसना, कि रोना पड़ता है,
किसी से प्यार ना करना, कि रोना पड़ता है,
मिलता कुछ भी तो नहीं गम, आँसुओं के सिवा,
और जो कुछ होता है अपना, वो खोना पड़ता है !!
इसलिए…..
   
उस संगदिल सनम की, तू यूँ फिक्र ना कर . . .
 
लब रख खामोश, उसका तू ज़िक्र ना कर. . .
 
और. . .
जिन्दगी कुछ ऐसे जी ले, कि कोई अफ़सोस ना रहे,
उनके याद, फ़रियाद, में तू यूँ खामोश ना रहे !!
मगर, हसना इतना कि, तेरी हंसी पे सारा जमाना रो दे,
रोना इतना कि आँसुओं की बाढ़ में, वो सब कुछ खो दे !!
दुआ करना इतना, कि रब भी हाथ बढ़ा दे,
जो नहीं नसीब में, उसको भी नसीब में ला दे !!

कि खुश तू ना हो तो, उसे भी ख़ुशी नसीब ना हो,
हो सब कुछ उसके पास, पर वो अपने प्यार के करीब ना हो !!

उन्हें भी तो पता चले कि, प्यार के वास्ते रोना क्या है,
वो जो जान हो अपना, उसी का ना होना क्या है
दिल में इतनी मोहब्बत भर ले, कि जीना दुशवार हो जाये,
और जो उन्हें नफ़रतहै तुझसे तो
  इतनी नफरत भर ले, कि उनकी नफरत से भी तुझे प्यार हो जाये !!
उनकी नफरत से भी तुझे प्यार हो जाये….

डरी हु, सहमी हु , फिर भी  आपके सामने हु !
डरी हु, सहमी हु , फिर भी डर से अंजान  हु !
सामने आप हो तो डरु कैसे ,डर से अंजान  हु !
डर तो डराता है ,खुद डर को डराती हु !
क्यों डरते हो और ये डर क्या है  मै डर से अंजान  हु !
खुदा के नेक बन्दे है इस जहा में मै डर से अंजान  हु !
मुझे खुद उचायिया  देके वो मुझे निचे से निहारते है  मै हु !
यही आवाज़  देकर कठिन राहों पे चलने को कहते है 
मै चलती तो हु पर डरती नहीं मै डर को डराती हु !
उसने जीना सिखाया डरना नहीं ,मै उनका शुक्रगुज़ार हु !
कहते  है लोग ,हर कामयाबी के पीछे औरत का हाथ है मै नहीं हु !
खुद तो बड़े बने मुझे भी बनाया मै उनका शुक्रगुजार हु !
मै डर से डरती नहीं , मै खुद डराती हु 
खुदा के नेक बन्दे है इस जहा में मै डर से अंजान  हु !


आखरी बार आखरी ख़त मैंने लिखा उसे,
देती है मेरी मोहब्बत आखरी तोहफा उसे,
याद रखे या भुला दे मुझे परवाह नहीं,
याद करके भूल जाऊं उसको मैं ऐसा नहीं,
बेवफ़ा की बेवफाई साथ मेरे जाएगी,
और जब उठेगा जनाज़ा मेरा तो आवाजें आएंगे
आ देख ले ज़िन्दगी की ये आखरी ये शाम है,
आखरी ये ख़त एक बेवफ़ा के नाम है |


पा ली खुशियाँ तुने मेरा दिल जलाकर,
बोल क्या तू जी सकेगी मुझे भुलाकर,
तू खुश रह हर पल तेरी खुशियों के लिए मुझे ग़मों से भी प्यार है
बता एक पल के लिए भी क्या तुझे मेरा इंतज़ार है
काफी अरसा बीत गया जाने अब वो कैसी होगी,
वक़्त की सारी कड़वी बातें चुप-चाप सहती होगी,
अब भी भीगी बारिश में वो बिन छतरी के चलती होगी,
मुझसे बिछड़े अरसा बीता अब वो किस से लड़ती होगी,
 अच्छा था जो साथ ही रहते बाद में उसने सोचा होगा,
अपने दिल की सारी बातें खुद से खुद ही कहती होगी




Haste haste rona sikh liye hamne,
sab hote hue bhi khona sikh liya hamne.
Kaise kahein k hamare dil ka alam kya hai,
Apni jaan ko apne paas hote hue bhi miss karna sikh liya hamne…..


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