शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

बे-मतलब, बे-बात रूठते रहे वो,


हम कोशिश करते रहे उनको अपने दिल मे बसाने की,
पर उन्होने ज़िद ठान ली थी हमसे दूर जाने की |

वो उम्र भर सोचते रहे के हम चाहते नहीं उनको
हम दलीलें ही देते रह गए, अपने मोहब्बत के पैमाने की ||

बे-मतलब, बे-बात रूठते रहे वो,
और हम तरकीबें सोचते रहे उनको मनाने की |

भटकता रहा वो बेमकसद इधर-उधर,
कोशिश ना की इक बार भी मेरे दिल के ओर आने की ||

हम खोये रह गए उनके ख्वाबों में ,
ख्वाबों की तो जात ही है टूट जाने की ||

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