गुरुवार, 22 नवंबर 2012

क्या हुआ आप हमको यों........


क्या हुआ आप हमको यों ही मिलते रहे ,
चाहे ख्वाब रहा हो या हकीकत ,
हमने यों ही भ्रम पाल लिया
कभी तो आओगे मेरे आशियाने में ,
मैं इंतजार करता रहा यों ही खामोश हो कर ,
सायद मैं गलत था यों ही ख्वाब को संजोता रहा ,
मेरे दर्द को कोई समझ न सका ,
यही दर्द पीर बन कर रह गया ,
ख्वाब का आशियाना बन कर ,
काश कोई समझ पता .......मेरे द्रवित हिरदय को ,
मैं आपको यों न पुकारता ....की एक बार आ जाओ ,
मेरे निस्तब्ध शरीर को  अपने आगोश में ले लो ,
फिर मौका मिले न मिले आ जाओ आ जाओ ,
बस एक बार जब तक इस शारीर  में जान  है आ जाओ !!!!

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