रविवार, 25 नवंबर 2012




क्यूँ आज   में  दुखी  हूँ ,
मुझे गम किसका सता रहा है
उस मोड़ पर जहाँ अँधेरा  छाया है,
क्यूँ मुझे वोह डरा रहा है
क्यूँ ऊंचाइयाँ  मेरे मुल्क की,
मुझे खोखली दिखाई दे रही हैं,
क्यूँ वोह जो गहरा अंदर समां रहा है
वोह है मेरी जमी का दिल
जो  आज दुःख मना रहा है,
नोच रहे हैं ज़माने वाले,
हर एक अपना जीवन  सवांर रहा है
मेरे मुल्क का क्या होगा ऐ जन..
मेरा भारत दुखी है ,...दुःख मना रहा है.


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