क्यूँ आज
में दुखी हूँ ,
मुझे गम किसका सता रहा है
उस मोड़ पर जहाँ अँधेरा छाया है,
क्यूँ मुझे वोह डरा रहा है
क्यूँ ऊंचाइयाँ मेरे मुल्क की,
मुझे खोखली दिखाई दे रही हैं,
क्यूँ वोह जो गहरा अंदर समां रहा है
वोह है मेरी जमी का दिल
जो आज
दुःख मना रहा है,
नोच रहे हैं ज़माने वाले,
हर एक अपना जीवन सवांर रहा है
मेरे मुल्क का क्या होगा ऐ जन..
मेरा भारत दुखी है ,...दुःख मना रहा
है.
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