मंगलवार, 12 नवंबर 2013
रविवार, 13 अक्टूबर 2013
मंगलवार, 30 जुलाई 2013
नायक माधो सिंह भंडारी
मलेथा... गाँव ..... जी हाँ इस हरियाली को वीर भड़ माधो सिंह भंडारी ने....... अपने छोटे से बेटे के खून से सिंचा है उनके पुत्र के इस बलिदान को समस्त उत्तराखंड का नमन.... "क्या च भंडारी तेरा मलेथा...कनडाली को खाणु तेरा मलेथा झंगोरा को खाणु तेरा मलेथा"""" यही शब्द थे जो गाथा नायक माधो सिंह भंडारी जी को मलेथा की
सारी में पानी लेन के लिए मजबूर
किया था और ये
शब्द उनकी प्रेमिका उदीना ने उनके लिए कहे थे
गाथा नायक माधो सिंह भंडारी जी ने मलेथा की कूल बनने के बाद
कहा था
की
""" ढल कदी कूल मेरा मलेथा,पलिंगा कु बाड़ी मेरा मलेथा गाउ मुड़े
धारी मेरा मलेथा,
छोलिंग बिजोरा मेरा मलेथा,गायो कु गुठार मेरा मलेथा,बैखू की ढसक
मेरा मलेथा
" ये जा उदीना मेरा मलेथा
लेकिन माँ की ममता को कोई नहीं जन सकता है ,,, जब माधो सिंह अपने बेटे की बलि देने को तयार होता है तो गजे सिंह यानि माधो सिंह भंडारी का बेटा अपनी माँ से इस प्रकार बोलता है .
गाजे सिंह :-बाबा जी बोना छन मेरा, पानी ओन मलेथा का सेरा, मेरी माँ जी में जणू पड़गी !
उदीना :- त्वे बिना कन्केक रोलु , मेरी काकी पर अभ कु सेलु !
गाजे सिंह :छेन्दा माँ बलिदान होण , मलेथा माँ पाणी ओण ,मेरी माँ जी में जणू पड़गी !
उदीना :तन न बोल ये मेरा बीर -मेरी जोंदी जुकड़ी न चीर,
इतिहास बताता है की . आज भी गढ़वाल की धरती को उदीना का सराफ मिला है.
माधो सिंह भंडारी के बाद गढ़वाल में ऐसा भड (बीर) पुरुष पैदा नहीं हुआ.
सारी में पानी लेन के लिए मजबूर
किया था और ये
शब्द उनकी प्रेमिका उदीना ने उनके लिए कहे थे
गाथा नायक माधो सिंह भंडारी जी ने मलेथा की कूल बनने के बाद
कहा था
की
""" ढल कदी कूल मेरा मलेथा,पलिंगा कु बाड़ी मेरा मलेथा गाउ मुड़े
धारी मेरा मलेथा,
छोलिंग बिजोरा मेरा मलेथा,गायो कु गुठार मेरा मलेथा,बैखू की ढसक
मेरा मलेथा
" ये जा उदीना मेरा मलेथा
लेकिन माँ की ममता को कोई नहीं जन सकता है ,,, जब माधो सिंह अपने बेटे की बलि देने को तयार होता है तो गजे सिंह यानि माधो सिंह भंडारी का बेटा अपनी माँ से इस प्रकार बोलता है .
गाजे सिंह :-बाबा जी बोना छन मेरा, पानी ओन मलेथा का सेरा, मेरी माँ जी में जणू पड़गी !
उदीना :- त्वे बिना कन्केक रोलु , मेरी काकी पर अभ कु सेलु !
गाजे सिंह :छेन्दा माँ बलिदान होण , मलेथा माँ पाणी ओण ,मेरी माँ जी में जणू पड़गी !
उदीना :तन न बोल ये मेरा बीर -मेरी जोंदी जुकड़ी न चीर,
इतिहास बताता है की . आज भी गढ़वाल की धरती को उदीना का सराफ मिला है.
माधो सिंह भंडारी के बाद गढ़वाल में ऐसा भड (बीर) पुरुष पैदा नहीं हुआ.
बुधवार, 29 मई 2013
शनिवार, 18 मई 2013
शनिवार, 4 मई 2013
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013
Pyar Ke Do Naam- Ek Raadha Ek Shyaam_ Thandi Thandi Chali Purwayi
Bahot khoob hoti hai mohabbat mein judai,
Saath deti hai har waqt tanhai,
Nigahon mein aakar theher jate hain aansu,
Puchti hain zindagi ab tak maut kyun nahi ayi!
Saath deti hai har waqt tanhai,
Nigahon mein aakar theher jate hain aansu,
Puchti hain zindagi ab tak maut kyun nahi ayi!
मंगलवार, 9 अप्रैल 2013
रही तुम बेखबर !!!
नाराज़ आँखे बोलती रही रातभर
पर आंच न आया तुम पर -
रही तुम बेखबर !
सूखे पत्ते सा फडफडाता रहा यूं ही
और गीली आँखों ने चाँद -
सुखाया रातभर !
बुझी हुई आँखों से ज़िन्दगी को देखा इस कदर
चलती हुई ज़िन्दगी को -
पकड़ता रहा बस रातभर !
काँटों से ख़्वाबों ने आँखों को खूब चुभोया है
आंसुओं ने सहलाया है पर -
उनींदे आँखों को रातभर !
शायद ज़िन्दगी की यही चाल है ---पता नहीं
आंसूं और ख्वाब ने हंगामा -
मचाया है रातभर !
सोमवार, 1 अप्रैल 2013
रविवार, 31 मार्च 2013
सोमवार, 25 मार्च 2013
सोमवार, 4 मार्च 2013
यूँ बरसों पहले मिल जाते
कितना अच्छा होता !जो तुम
यूँ बरसों पहले मिल जाते
सच मानो इस मन के पतझर-
में फूल हज़ारों खिल जाते
खुशबू से भर जाता आँगन ।
कुछ अपना दुख हम कह लेते
कुछ ताप तुम्हारे सह लेते
कुछ तो आँसू पी लेते हम
कुछ में हम दो पल बह लेते
हल्का हो जाता अपना मन ।
तुमने चीन्हें मन के आखर
तुमने समझे पीड़ा के स्वर
तुम हो मन के मीत हमारे
रिश्तों के धागों से ऊपर
तुम हो गंगा -जैसी पावन ।
सोमवार, 11 फ़रवरी 2013
दिल के कागज़ पर लिखा है,नाम केवल आपका
दिल के
कागज़ पर लिखा है,नाम केवल आपका
ध्यान मन में लगा रहता है हरेक पल आपका
क्या गजब का हुस्न है और क्या अदाएं आपकी,
घूमता आँखों में रहता, चेहरा चंचल आपका
हम को दीवाना दिया है कर
तुम्हारी चाह ने ,
सोने के साँचें से आया , ये बदन ढल आपका
बन संवर के ,निकलती हो ,जब ठुमकती चाल से,
दिल करे दीदार करता रहूँ दिन
भर आपका
श्वेत केशों पर न जाओ,उम्र में क्या रखा,
प्यार देखो,दिल जवां है,और पागल आपका
बात सुन वो हँसे,बोले आप है सठिया गये,
जंच रहा है ,नहीं हमको ,ये प्रपोजल आपका
फिर भी ये तारीफ़ सुन कर,हमको है अच्छा लगा,
तहे दिल से शुक्रिया है,डियर ‘सोहन’ आपका
सोमवार, 4 फ़रवरी 2013
कहाँ से लाऊं ओ पल
रात तुम्हारी बाँहों में कटे ,सुबह हलकी हलकी लगे |
दिन तुम्हारे ख्यालों में गुजरे तो रात हलकी हलकी लगे ||
जो तुम्हे देखा तो सांसे गई थम ,सारी सारी रात सोये ना हम |
तुम साथ होकर भी साथ नहीं होती ,अब तो रात होकर भी रात नहीं होती ||
दिन गुजरा तन्हाई में ,रात गुजरी रुशवाही में |
कहाँ से लाऊं ओ पल ओ सुकून,जो कभी तुमने मुझे दिए ||
पर सोचा जो दिया ओ उधार समझूँ ,आएगा एक दिन जब सूत समेत वापस करूँ ||
गुरुवार, 31 जनवरी 2013
जीवन भी क्या नशा है !!!
जीवन भी क्या नशा है जीने का ,
कोई जी लेता है मर -मर के ,
कोई जी लेता है डर - डर के ,
कोई तमाश बना लेता है इसको ,
कोई सजा लेता है इसको ,
कोई प्यार से भर देता इसका आँचल ,
कोई नफ़रत से कर देता सजल ,
सजल मत करो नयनो को इनको भी दुःख का एहसास होता है ,
क्या करें ये सजल तब भी होते हैं जब खुशी का एहसास होता है
कोई जी लेता है मर -मर के ,
कोई जी लेता है डर - डर के ,
कोई तमाश बना लेता है इसको ,
कोई सजा लेता है इसको ,
कोई प्यार से भर देता इसका आँचल ,
कोई नफ़रत से कर देता सजल ,
सजल मत करो नयनो को इनको भी दुःख का एहसास होता है ,
क्या करें ये सजल तब भी होते हैं जब खुशी का एहसास होता है
शुक्रवार, 18 जनवरी 2013
zindagi
Ye zindagi bhi badi ajeeb hai...
Oss ki bund ke jaisi thehri si
Barish ke pani ke jaise chalakti si
Ye zindagi bhi badi chalti hai...
Bite hue pal ki tarah muskurati si
Aane waale kal ki tarah jhaankti si
Ye zindagi bhi bada satati hai....
Indradhanush se saat rang dikhati si
Patjhad si veeran, jhadti si
Ye zindagi bhi badi ajjb dastan sunati hai...
Dadi ki laad bhari daant si sabak sikhati si
Ma ki pyaar bhari baaton si laad karti si
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