सोमवार, 15 सितंबर 2014
उत्तराखंड
उत्तराखण्ड तीव्र-तथ्य
स्थापना दिवस | ९ नवम्बर २००० | |
राज्य पशु | कस्तूरी मृग | |
राज्य पक्षी | मोनाल | |
राज्य वृक्ष | बुरांस | |
राज्य पुष्प | ब्रह्म कमल |
राजनैतिक तथ्य
- प्रशासनिक राजधानी: देहरादून
- प्रस्तावित राजधानी: गैरसैण
- उच्च न्यायालय: नैनीताल
- देश में स्थिति: उत्तर भारत
- मुख्यमन्त्री: हरीश रावत
- राज्यपाल: अजीज कुरैशी
- मण्डल संख्या: दो (कुमाऊँ और गढ़वाल)
- कुल जिले: तेरह
- विधानसभा सीटें: सत्तर
- लोकसभा सीटें: पाँच
धार्मिक तथ्य
धार्मिक तथ्य
उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है पौराणिक काल में इस क्षेत्र में हुए विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा लिए अवतार। यहाँ त्रियुगी-नारायण नामक स्थान पर महादेव ने सती पार्वती से विवाह किया था।
मन्सार नामक स्थान पर सीता माता धरती में धरती में समाई थी। यह स्थान उत्तराखण्ड के पौडी जिले में है और यहाँ प्रतिवर्ष एक मेला भी लगता है।
कमलेश्वर/सिद्धेश्वर मन्दिर श्रीनगर का सर्वाधिक पूजित मन्दिर है। कहा जाता है कि जब देवता असुरों से युद्ध में परास्त होने लगे तो भगवान विष्णु को भगवान शंकर से इसी स्थान पर सुदर्शन चक्र मिला था।
सती अनसूइया ने उत्तराखण्ड में ही ब्रह्म, विष्णु, एवँ महेश को बालक बनाया था।
डोईवाला भगवान दत्तात्रेय के २ शिष्यों की निवास भूमि है। यही नहीं, भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने भी यहीं प्रायश्चित किया था
उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है पौराणिक काल में इस क्षेत्र में हुए विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा लिए अवतार। यहाँ त्रियुगी-नारायण नामक स्थान पर महादेव ने सती पार्वती से विवाह किया था।
मन्सार नामक स्थान पर सीता माता धरती में धरती में समाई थी। यह स्थान उत्तराखण्ड के पौडी जिले में है और यहाँ प्रतिवर्ष एक मेला भी लगता है।
कमलेश्वर/सिद्धेश्वर मन्दिर श्रीनगर का सर्वाधिक पूजित मन्दिर है। कहा जाता है कि जब देवता असुरों से युद्ध में परास्त होने लगे तो भगवान विष्णु को भगवान शंकर से इसी स्थान पर सुदर्शन चक्र मिला था।
सती अनसूइया ने उत्तराखण्ड में ही ब्रह्म, विष्णु, एवँ महेश को बालक बनाया था।
डोईवाला भगवान दत्तात्रेय के २ शिष्यों की निवास भूमि है। यही नहीं, भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने भी यहीं प्रायश्चित किया था
बदलते गाँवों ......पर मेरा एक गीत
अब रहा न अपना गाँव, जाने पहचाने ठाँव
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
वो नदिया लहरें नाव, किनारे बरगद वाली छाँव
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
पनघट पर छलिया रूप,चहकते ताल बावड़ी कूप
बरखा रानी से मिलकर, महकती माटी लगे अनूप
रंहट का ताल मयी संगीत, गले से बहते मधुरम गीत
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
दादी का प्यार दुलार पड़ोसन काकी की मनुहार
चाचा ताऊ पूरा गाँव, बुजुर्गा का आदर सत्कार
नहीं अब चुनरी की सौगात, नेह की ना ही है बरसात
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
चोपालें बनी दुकान खेत में उगने लगे मकान
चेहरे पर चढ़ी नकाब, लुप्त भोली सच्ची मुस्कान
हो गया हटवाड़ा वीरान, लखेरा पंसारी हैरान
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
साँझ धूमिल भौर उदास, मंज़िलें छूती है आकाश
यहाँ पर बैगानों की भीड़, बचपन चुप युवा हताश
फिरके कई अनेकों जात, तरक़्क़ी की ये ही सौगात
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
अब रहा न अपना गाँव, जाने पहचाने ठाँव
सब कुछ बदल गया, सब कुछ बदल गया
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