शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

उत्तराखंड का परिचय

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उत्तराखंड का जन्म 9 नवंबर सन 2000 को भारत के सत्ताईसवें राज्य के रूप में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) नाम से हुआ।इससे पहले यह उत्तर प्रदेश का ही एक भाग था। उत्तराखंड 2 मंडलो गढ़वाल और कुमाऊँ में विभक्त है. उत्तराखंड में वर्तमान में 13 जिले हैं जिनमें से 7 गढ़वाल में – देहरादून , उत्तरकाशी , पौड़ी , टेहरी (अब नई टेहरी) , चमोली , रूद्रप्रयाग, हरिद्वार और 6 कुमाऊँ में-अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्‍वर और उधम सिंह नगर हैं। यह उत्तर में चीन , हिमाचल प्रदेश , पूर्व में नेपाल , दक्षिण में उत्तर प्रदेश और पश्चि‍म में हरियाणा व हिमाचल प्रदेश से घिरा हुआ है। इसकी लंबाई पूर्व से पश्चिम की ओर 358 किमी और चौड़ाई उत्तर से दक्षिण की ओर 320 किमी है। यहां 70 विधानसभा सीट , 3 राज्य सभा सीट और 5 लोकसभा सीट हैं। इस आयताकार आक़ृति के राज्य का अस्थायी राजधानी देहरादून है जिसे गैरसैण ले जाने के लिये जनता प्रयत्नशील है।उत्तराखंड का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। उत्तराखंड का क्षेत्रफल 53483 वर्ग कि. मी. है और यहां 85 लाख (2001 की जनगणना के अनुसार) जनसंख्या निवास करती है
उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तराञ्चल) , उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण 9 नवम्बर 2000 को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था . सन 2000 2006 से तक यह उत्तराञ्चल के नाम से जाना जाता था. जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया. राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं. पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं. सन 2000 में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था. पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है. हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है. राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं.
देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है. गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है. राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है.
राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं. साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं. राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी - भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना. इस परियोजना की कल्पना 1953 मे की गई थी और यह अन्ततः 2007 में बनकर तैयार हुआ. उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है

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