Bahot khoob hoti hai mohabbat mein judai,
Saath deti hai har waqt tanhai,
Nigahon mein aakar theher jate hain aansu,
Puchti hain zindagi ab tak maut kyun nahi ayi!
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013
मंगलवार, 9 अप्रैल 2013
रही तुम बेखबर !!!
नाराज़ आँखे बोलती रही रातभर
पर आंच न आया तुम पर -
रही तुम बेखबर !
सूखे पत्ते सा फडफडाता रहा यूं ही
और गीली आँखों ने चाँद -
सुखाया रातभर !
बुझी हुई आँखों से ज़िन्दगी को देखा इस कदर
चलती हुई ज़िन्दगी को -
पकड़ता रहा बस रातभर !
काँटों से ख़्वाबों ने आँखों को खूब चुभोया है
आंसुओं ने सहलाया है पर -
उनींदे आँखों को रातभर !
शायद ज़िन्दगी की यही चाल है ---पता नहीं
आंसूं और ख्वाब ने हंगामा -
मचाया है रातभर !
सोमवार, 1 अप्रैल 2013
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